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बीपीएससी घोटाले के खिलाफ पटना में मुख्यमंत्री का घेराव, पटना की सड़कों पर दिखा युवाओं का गुस्सा

Updated: Jan 5


बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, धांधली और अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ छात्रों और नौजवान संगठनों का गुस्सा आज पटना की सड़कों पर दिखा।
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, धांधली और अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ छात्रों और नौजवान संगठनों का गुस्सा आज पटना की सड़कों पर दिखा।

आरवाईए (इंकलाबी नौजवान सभा), आइसा और अन्य वामपंथी छात्र-युवा संगठनों के नेतृत्व में हजारों छात्र और नौजवान मुख्यमंत्री का घेराव करने पटना पहुंचे। डाकबंगला चौराहे पर ऐतिहासिक प्रदर्शन ने पूरे शहर को ठप्प कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की चुप्पी, परीक्षा रद्द कर दुबारा कराने, अपनी जान गवाएं सोनू कुमार के लिए न्याय की मांग और बीपीएससी घोटाले में शामिल दोषियों पर कार्रवाई न होने के खिलाफ आवाज बुलंद की।
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मार्च दोपहर 12 बजे कारगिल चौक से शुरू हुआ। वहां से हजारों की संख्या में छात्र-युवाओं का विशाल जुलूस निकला। प्रदर्शनकारी जब जेपी गोलंबर पहुंचे जहाँ प्रशासन ने पुलिस बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन छात्र - नौजवानों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और डाकबंगला चौराहे तक पहुंचने में सफल रहें। वहां उन्होंने मुख्य सड़क को घंटों जाम कर रखा और सरकार की चुप्पी के खिलाफ जोरदार नारे लगाए। आंदोलनकारी नौजवान वी वांट रि-एग्जाम तानाशाही नहीं चलेगी, नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ बंद करो जैसे नारों के साथ सड़कों पर डटे रहे। यह प्रदर्शन बिहार की जनता के गुस्से और न्याय की मांग का प्रतीक बन गया।
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इस आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि बिहार के नौजवान अन्याय के खिलाफ खड़े होने को तैयार हैं और  सरकार के लाठियों का मुकाबला करना जानते हैं. आंदोलन की तीव्रता और नौजवानों का जोश इस बात का संकेत है कि यह लड़ाई अब एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच चुकी है। सरकार के लिए अब भी समय है कि वह छात्रों और युवाओं की मांगों को गंभीरता से ले, वरना यह आक्रोश सत्ता की नींव को हिला देगी।

डाकबंगला चौराहे पर आयोजित सभा में आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि बीपीएससी जैसी संस्थाओं में हो रही धांधली युवाओं के भविष्य पर सीधा हमला है। नीतिश-भाजपा की सरकार नौजवानों के सपनों के साथ खिलवाड़ कर रही है. मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ने इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साध ली है और सिर्फ लाठी से बात करती है। हम उनकी लाठियों से डरने वाले नहीं हैं। आज हमलोग उनसे नौजवानों के ऊपर पड़ी लाठियों का जबाव मांगने आए हैं. सरकार बिना देरी के परीक्षा रद्द कर सम्पूर्ण परीक्षा दुबारा कराए। यह आन्दोलन जारी रहेगा और अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो 6 जनवरी को पूरे राज्य में प्रतिवाद दिवस मनाया जाएगा।

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आरवाईए के राज्य सचिव सह अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन ने कहा कि बिहार के नौजवान अब अन्याय के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं. सरकार लाठी से बात करना बंद करे और अभ्यर्थियों की मांगों को पूरा करे. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती यह आन्दोलन जारी रहेगा।
डाकबंगला चौराहे को घंटों तक जाम कर रखा गया। इस दौरान प्रदर्शनकारी पूरे जोश में सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।पुलिस और प्रशासन ने प्रदर्शन को रोकने के लिए दबाव बनाया, लेकिन छात्रों ने शांतिपूर्ण तरीके से डटे रहकर यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी लड़ाई न्याय के लिए है।
 
प्रदर्शनकारियों का स्पष्ट संदेश था कि वे बीपीएससी में हुई धांधली को लेकर चुप्पी साधे हुए सरकार के मुखिया से सीधे मुलाकात करना चाहते हैं। हालांकि, प्रशासन ने उनके साथ संवाद कराने से पूरी तरह से इनकार कर दिया, जिससे आंदोलन और भी उग्र हो गया। मुख्यमंत्री से मुलाकात की उनकी मांग पूरी नहीं हुई और अंततः आरवाइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने आंदोलन को जारी रखने की घोषणा की। उन्होंने 6 जनवरी को राज्यभर में विरोध दिवस मनाने की घोषणा की।

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इस आंदोलन में विभिन्न राजनीतिक दलों के कई प्रमुख नेता भी शामिल हुए। भाकपा-माले, सीपीआई, सीपीएम और कांग्रेस के विधायक प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े हुए और उन्होंने इस संघर्ष को लोकतंत्र और युवाओं के अधिकारों की रक्षा से जोड़ते हुए अपने समर्थन का ऐलान किया।
 
माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन (जो आरवाइए के राज्य सचिव भी हैं) , डुमरांव विधायक व आरवाईए बिहार के मानद राज्य अध्यक्ष अजित कुशवाहा, सत्यदेव राम, गोपाल रविदास, अमरजीत कुशवाहा और अन्य नेताओं ने इस आंदोलन में भाग लिया।
 
माले नेता महबूब आलम ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार और बीपीएससी परीक्षा में हुई धांधली पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने कहा कि यह सरकार युवा विरोधी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है। छात्र-युवा अब इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे और बिहार की जनता इस बार सत्ता से इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी।
साथ ही, सीपीआई के विधायक सूर्यकांत पासवान, कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद और सीपीएम के विधायक सत्येन्द्र यादव ने भी प्रदर्शन में भाग लिया।
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प्रदर्शन में विभिन्न छात्र-युवा संगठनों के प्रमुख नेता शामिल हुए। इनमें आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम, राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, राज्य अध्यक्ष जितेंदर पासवान, राज्य सह सचिव विनय कुमार, संदीप चौधरी, शाद शाह, निरंजन केशरी, विशाल कुमार, जयशंकर पंडित, उपेंदर गौर आदि आइसा की राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी, सचिव सबीर कुमार, राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, नीरज यादव,  एआइएसएफ के राज्य सह सचिव सुधीर कुमार, एआइवाइएफ के राज्य सचिव रौशन कुमार, एसएफआई के राज्य अध्यक्ष कांति कुमारी, डीवाईएफआई के प्रदेश अध्यक्ष मनोज चंद्रवंशी, सोशल जस्टिस फॉर आर्मी के गौतम आनंद, आइसा के संयुक्त सचिव आशीष साह, हेमंत कुमार, मयंक यादव, दीपक यदुवंशी, अनिमेष चंदन, विकाश कुमार, शुशील कुमार एवं एनएसयूआई के नेतागण प्रमुख रूप से शामिल थे।

प्रदर्शनकारियों ने 6 जनवरी को पूरे राज्य में प्रतिवाद दिवस मनाने का आह्वान किया है। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और भी तीखा होगा।

-वतन कुमार

 
 
 

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