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“उठो नौजवानों बदलो बिहार” नारे के साथ आरवाईए का बिहार राज्य सम्मेलन अरवल में सम्पन्न

Updated: Jun 7

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इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) का 9वां बिहार राज्य सम्मेलन 30-31 मई को अरवल में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के मौके पर शहर का नाम शहीद चंद्रशेखर नगर, सभागार का शहीद मंजू देवी और मंच प्रेम कुमार महतो के नाम पर रखा गया.
सम्मेलन का उद्घाटन सत्र आरंभ होने से पहले आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. नीरज कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष कॉ. आफताब आलम, राज्य सचिव व अंगियाव विधायक कॉ. शिवप्रकाश रंजन, अरवल विधायक कॉ. महानंद सिंह सहित संगठन व पार्टी के अग्रणी नेताओं ने अरवल जिला मुख्यालय स्थित बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और बाबा साहब के सपनों का देश बनाने का संकल्प लिया। साथ ही स्वतंत्रता सेनानी पार्क में सेनानियों के स्मारक पर माल्यार्पण कर देश की आजादी, लोकतंत्र, भाईचारा बचाने के लिए एकताबद्ध संघर्ष का संकल्प लिया।
सम्मेलन से पूर्व सम्मेलन स्थल पर आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. नीरज कुमार द्वारा झंडोत्तोलन किया गया और भारतीय जनक्रांति के तमाम शहीदों की स्मृति में दो मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी गई। सम्मेलन का उद्घाटन भाकपा माले के आरा से सांसद कॉ. सुदामा प्रसाद ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन संबोधन में बिहार और देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति का विश्लेषण करते हुए नौजवानों से कहा कि आज देश की फासीवादी सत्ता नौजवानों को रोजगार नहीं, केवल धोखा दे रही है। आप उस दौर में सम्मेलन कर रहे हैं जब बिहार बदलाव के मुहाने पर खड़ा है। बिहार में रोजगार की स्थिति राष्ट्रीय औसत से कम है।
पिछली एनडीए की सरकार ने बिहार के नौजवानों को 10 लाख रोजगार देने की बात कही थी लेकिन वह पूरा नहीं की, जबकि महागठबंधन की सरकार ने लाखों नौजवानों को नौकरी दिया और आज नौकरी कर रहे हैं। महागठबंधन की सरकार ने जातिय जनगणना करा कर 65 प्रतिशत आरक्षण दिया। मोदी और नीतीश सरकारों ने मिलकर बिहार को बेरोजगारी का दलदल बना दिया है। उन्होंने नौजवानों से आह्वान किया कि जब तक हम नौजवान अपने अधिकारों की लड़ाई में आर-पार का संकल्प नहीं लेंगे, तब तक ये सत्ता हमें झूठे वादों, झूठे सपनों और खोखली राष्ट्रभक्ति के नारों में उलझाकर रखेगी। यह सम्मेलन इसी आर-पार की लड़ाई का एलान है। उन्होंने आगे कहा कि आज जरूरत है एक ऐसी क्रांतिकारी युवा धारा के निर्माण की, जो मजदूरों, किसानों, छात्रों और तमाम उत्पीड़ितों की आवाज बनकर उभरे, जो तानाशाही और निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाए, और जो पूंजी के इस क्रूर शासन को नकारते हुए एक जनवादी और समाजवादी व्यवस्था के निर्माण का रास्ता खोले।
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सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि आज लोकतंत्र - संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। देश का तानाशाह नौजवानों को मुंगेरीलाल के सपने दिखाया था। 2 करोड़ प्रति वर्ष रोजगार मिलना तो दूर आज नौकरी खत्म किया जा रहा है। देश में नफरत और उन्माद का माहौल बनाया जा रहा है. इसलिए नौजवानों के कन्धे पर लोकतंत्र, संविधान और भाईचारा बचाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
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खुले सत्र को सम्बोधित केते हुए पालीगंज से विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि बिहार की धरती पर आज एक बहेलिया आया हुआ है। उनकी जब जरूरत थी कि दुनिया के देशों में जा कर भारत के पक्ष रखते तो वैसे समय में बिहार आ कर घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के अनेक मुद्दे हैं लेकिन उस पर बात नहीं हो रही है। पटना विवि को केन्द्रीय विवि का दर्जा, 65 प्रतिशत आरक्षण, विशेष राज्य दर्जा, रोजगार का सवाल लेकिन बात हिन्दू- मुस्लिम की हो रही है। उन्होंने कहा कि आरवाईए के साथियों को रोजगार के साथ-साथ जनता के सवालों पर लड़ना होगा और आने वाले विधानसभा में युवाओं को रोजगार, बदलो सरकार बदलो बिहार के साथ अभियान चलाना होगा।

समेलन को सम्बोधित करते हुए जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व महासचिव, वीर कुअंर सिंह के सहायक प्रोफेसर चिंटू कुमारी ने कहा कि यह सम्मेलन बहुत ही प्रतिकूल परिस्थितियों में हो रहा है। लेकिन यह माह नक्सलबाड़ी और ऐतिहासिक मजदूर दिवस का भी है. उन्होंने कहा कि हमें मोदी के वादे और इरादों को याद करना चाहिए। मोदी जी ने अच्छे दिन, रोजगार, बहुत हुई महिलाओं पर वार अबकी बार मोदी सरकार का वादा किया लेकिन इन वादों का क्या हुआ आप रोजगार की स्थिति, महिलाओं, दलितों पर हो रहे हमलों को देख सकते हैं।

सम्मेलन में स्थानीय विधायक महानंद सिंह ने कहा कि आप अरवल के उस धरती पर जो शाह चांद, मंजू देवी, वीरेंद्र विद्रोही के शहादत का जिला है। उन्होंने कहा कि आपदा में अवसर ढूँढने वाली सत्ता को जवाब देने और फासीवादी सरकार को खत्म करने का संकल्प इस सम्मलेन से लेना होगा।

डुमरांव विधायक अजित कुशवाहा ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव को नरेन्द्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर पर साम्प्रदायिक मौहल बना कर जीतना चाहते हैं। ऐसे में आरवाईए के नौजवानों को यह गारंटी करनी होगी कि बिहार का चुनाव बिहार के ज्वलंत सवालों पर होगा ना कि नफरत व सम्प्रदयिकता के सवाल पर होगा। उन्होंने कहा कि हम सेना के पराक्रम पर सवाल नहीं उठा रहें हैं लेकिन मोदी सरकार देश के सीमा को कमजोर कर रही है। अग्निवीर और सेना की संख्या में कमी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नौजवानों को गांव - गांव में जा कर मोदी सरकार का पोल खोलना होगा।

आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार ने कहा कि देश की शिक्षा वेंटिलेटर पर है। नई शिक्षा नीति ला कर गरीबों के बच्चों को शिक्षा से दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छात्र - नौजवान को मिल कर शिक्षा के सवाल पर मजबूत आंदोलन करना होगा।

सम्मेलन के सांगठनिक सत्र की शुरुआत 9 सदस्यीय अध्यक्ष मंडली की अध्यक्षता में हुई। राज्य सचिव कॉ. शिवप्रकाश रंजन ने बीते कार्यकाल का सांगठनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि बीते वर्षों में आरवाईए ने गांव, ब्लॉक, जिले से लेकर राजधानी तक जनसरोकार के सवालों को लेकर आंदोलन खड़े किए, युवाओं को संगठित किया, उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी और निजीकरण, ठेकाकरण, रोजगार संकट, शिक्षा की बदहाली, संस्थानों में भ्रष्टाचार और पुलिस दमन जैसे मुद्दों पर मुखर होकर सरकार से टकराया। सैकड़ों प्रतिनिधियों ने इस रिपोर्ट पर बहस में भाग लेते हुए अपने क्षेत्रों के अनुभव साझा किए, आंदोलनों की दिशा और रणनीति पर विचार रखे और एकजुटता के साथ आगामी कार्यभार को समझा। सम्मेलन के अंतिम सत्र में विदाई कमिटी की रिपोर्ट को बहुमत से पारित किया गया और सम्मेलन के पर्यवेक्षक झारखंड के राज्य सचिव अविनाश कुमार की देखरेख में नई राज्य परिषद का चुनाव हुआ। 93 सदस्यीय नई राज्य परिषद में राज्य सचिव के रूप में शिवप्रकाश रंजन को चुना गया और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी कॉ. जितेन्द्र पासवान को सौंपी गई। वहीं, कॉ. संदीप चौधरी, निरंजन केशरी, वतन कुमार, रणजीत राम, शाह शाद, तारिक अनवर, रामाकांत टुन्ना, मिथिलेश कुमार और जयशंकर पंडित उपाध्यक्ष चुने गए। प्रदेश सह-सचिव के रूप में कॉ. विनय कुमार, ओणम सिंह, रौशन यादव, मुकेश पासवान, सुमित यादव, विशाल कुमार, वीरेश कुमार और पंचम मांझी को चुना गया।
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सम्मलेन के सांगठनिक सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव कॉ. नीरज कुमार ने कहा कि मोदी सरकार अपने शासन की नाकामी को छुपाने के लिए ऑपरेशन सिन्दूर का इस्तेमाल सांप्रदायिक नफरत और उन्माद भड़काने के लिए कर रही है. पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले से उपजे सवालों का जवाब इनके पास नहीं है कि आतंकवादी इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच देश में आए कैसे ? हमारे 26 नागरिकों का कत्लेआम करके वो देश से भागे कैसे ? अभी तक उन आतंकवादियों पर क्या कार्यवाई हुई ? इस हमले में मारे गए नागरिकों को न्याय दिलाने के नाम पर ऑपरेशन सिन्दूर शुरू किया गया तो क्या इसका मकसद पूरा हो गया? कितने आतंकवादियों को पकड़ा गया ? युद्ध विराम किसके कहने पर किया गया? अमरीका के सामने मोदी सरकार ने सरेंडर क्यों किया? आदि. नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिहार की सत्ता पर बीते दो दशकों से बैठे मुख्यमंत्री वादों और जुमलों की खेती कर रहे हैं, लेकिन खेत सूखा है, नौजवान का हाथ खाली है और उसका भविष्य अंधेरे में डूबा है। उन्होंने कहा कि बिहार का नौजवान आज भी दिल्ली, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र की सड़कों पर रिक्शा चला रहा है, होटल में बर्तन धो रहा है, चौकीदारी कर रहा है तो इतने वर्षों से यह किस विकास की कहानी लिखी जा रही है? कॉ. नीरज ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी तीखा प्रहार करते हुए कहा, 2 करोड़ रोजगार का वादा करने वाली सरकार अब समय पर परीक्षा तक नहीं करवा पा रही है. रोजगार की बजाय नौजवानों को ठेके पर धकेल रही है, ताकि कॉरपोरेट के लिए सस्ते श्रम के रूप में उनका इस्तेमाल किया जा सके. विश्वविद्यालयों का सत्र 3-4 साल पीछे चल रहा है, स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, कॉलेजों में क्लास नहीं, तकनीकी शिक्षा का खुल्लमखुल्ला निजीकरण हो चुका है और सरकार कहती है आत्मनिर्भर बनो! यह आत्मनिर्भरता नहीं, आत्मसमर्पण है। उन्होंने कहा 9 जून से 9 जुलाई तक आरवाईए पूरे देश में जनसंपर्क और जनसंघर्ष अभियान चलाएगा. हर गांव, हर ब्लॉक, हर जिले में नौजवानों को संगठित किया जाएगा. नौजवानों से संवाद होगा, जनसभाएं होंगी, आंदोलन खड़े किए जाएंगे ताकि इस जनविरोधी व्यवस्था की चूलें हिला दी जाएं और एक जनपक्षधर सत्ता की बुनियाद रखी जा सके।

9वें राज्सय म्मेलन से चुनी गई नई बिहार राज्य परिषद्

नवनिर्वाचित राज्य सचिव व अंगियाव विधायक कॉ. शिव प्रकाश रंजन ने अपने भाषण में कहा कि आज का युवा सिर्फ सरकारी नौकरी ना मिलने से सिर्फ हताश निराश नहीं है बल्कि इस व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि बिहार का नौजवान सबसे ज्यादा पढ़ाई करता है, लेकिन सबसे ज्यादा पलायन भी उसी को करना पड़ता है। उन्होंने ठेकाकरण के खिलाफ मुखर होकर कहा कि आज मेडिकल सेक्टर से लेकर शिक्षा, प्रशासन और तकनीकी क्षेत्र तक हर जगह युवाओं को ठेके पर रखा जा रहा है। कोई वेतन तय नहीं, कोई नौकरी की सुरक्षा नहीं यह श्रम के अधिकारों की हत्या है। यह गुलामी का नया चेहरा है, जिसे तोड़ने के लिए एक सशक्त युवा आंदोलन की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि आरवाईए सिर्फ एक संगठन नहीं, एक आंदोलन है, हम लड़ेंगे, जुल्म से टकराएंगे और सत्ता से हक छीन कर लेंगे।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित अध्यक्ष जितेंद्र पासवान ने कहा कि बिहार में दलितों पर बढ़ते हमले केवल सामाजिक नहीं, बल्कि राजनीतिक हमले हैं। आज जब कोई दलित बेटी स्कूल जाती है, पढ़ाई करती है या अपने हक की बात करती है, तो उसे कुचलने की कोशिश की जाती है। दलित समुदाय के युवाओं को योजनाबद्ध ढंग से शिक्षा, रोजगार और सम्मान से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर की विशाखा कुमारी जैसी बच्चियों के साथ हुई बर्बरता कोई अपवाद नहीं, बल्कि यह उस मनुवादी सोच का हिस्सा है जो आज सत्ता की छांव में पल-बढ़ रही है। कॉ. जितेंद्र पासवान ने स्पष्ट कहा कि यह सत्ता चाहती है कि दलित नौजवान दबा रहे, डरा रहे और खामोश रहे लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे। आरवाईए हर गांव और हर ब्लॉक में दलित युवाओं को संगठित करेगा, उत्पीड़न के हर मामले को आंदोलन बनाएगा और सामाजिक न्याय को सिर्फ नारे में नहीं, सड़क पर लागू करवाकर रहेगा।
राज्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा-माले की केंद्रीय कमेटी सदस्य कॉ. अभ्युदय ने नौवें राज्य सम्मेलन की ऐतिहासिक सफलता के लिए सभी साथियों को बधाई और नवनिर्वाचित राज्य कमिटी को क्रांतिकारी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन न सिर्फ सांगठनिक रूप से मजबूत और व्यापक था, बल्कि इसके राजनीतिक संदेश ने यह साफ कर दिया है कि बिहार का नौजवान अब न तो ठगा जाएगा, न ही दबेगा, वह सवाल पूछेगा, आंदोलन खड़ा करेगा और बदलाव की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाएगा। कॉ. अभ्युदय ने कहा कि चुनी गई नई राज्य कमिटी पर बड़ी जिम्मेदारी है। सिर्फ संगठन का विस्तार नहीं, बल्कि एक ऐसे जनांदोलन की नींव रखना जो बेरोजगारी, शिक्षा, ठेकाकरण, दलित-अल्पसंख्यक उत्पीड़न और सांप्रदायिकता जैसे सवालों को लेकर पूरे राज्य में संगठित हस्तक्षेप करे। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि आरवाईए गांव से लेकर विश्वविद्यालय और शहर से लेकर खेत-खलिहान तक, हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराए। कॉ. अभ्युदय ने आगे कहा कि नौजवानों को दरकिनार कर बनाई जा रही नीतियों के खिलाफ एकजुट और तेज प्रतिवाद की ज़रूरत है। उन्होंने आशा जताया कि सम्मेलन से निकली चेतना अब आंदोलनों के रूप में फूटेगी और आरवाईए 'जनसंपर्क से जनसंघर्ष' के रास्ते को अपनाते हुए हर ब्लॉक, हर जिले में अपनी संगठनात्मक ताकत को कई गुणा बढ़ाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब व्यवस्था बर्बर हो जाए, तब संघर्ष ही सबसे बड़ी जवाबदेही होती है। उन्होंने नौजवानों से अपील किया कि वह आने वाले महीनों को जनसंघर्ष के महीनों में बदले, और हर गांव-कस्बे में लाल झंडे के नीचे न्याय, सम्मान और रोज़गार की आवाज को बुलंद करे। उन्होंने विश्वास जताया कि आरवाईए की यह नई कमिटी बिहार की युवा राजनीति को एक नई दिशा देने में सफल होगी।


-वतन कुमार
 
 
 

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