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रोहित वेमूला के शहादत दिवस पर आरवाईए का न्याय मार्च

Updated: Jan 19, 2024


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आरवाईए ने रोहित वेमूला की शहादत दिवस पर न्याय मार्च निकालकर न्याय के लिए आवाज़ बुलंद की ।


आरवाईए ने न्याय मार्च के माध्यम से सामाजिक न्याय पर हो रहे हमले, नौजवनों के भविष्य, रोजगार के अवसरों पर हो रहे हमले के खिलाफ आवाज़ बुलंद की साथ ही साथ सभी संस्थानों में जातीय भेद-भाव को रोकने के लिए रोहित एक्ट लागू करने की मांग की.

न्याय मार्च में नौजवानों ने रोजगार के अवसरों को खत्म कर सामाजिक न्याय का गला घोटाना बंद करो! दस साल का हिसाब दो, नफरत नही रोजगार दो!, मोदी जी! मुद्दा मत भटकाओ रोजगार कहां है यह बतलाओ! आदि नारे लगाए.

बिहार में इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए आरवाईए बिहार के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन ने कहा की कहा कि 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला की यूनिवर्सिटी प्रशासन और भाजपा सरकार ने प्रताड़ित कर संस्थानिक हत्या कर दी. रोहित शहीद-ए-आज़म भगत सिंह और डॉ. अम्बेडकर के सपनों का देश बनाने का सपना देखते थे। सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन को यह मंजूर नहीं था इसलिए उनको इस तरह से प्रताड़ित किया कि उनको आत्महत्या करनी पड़ी. रोहित को अभी भी न्याय नहीं मिली है इसलिए हम न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं.

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उत्तरप्रदेश में न्याय मार्च को सम्बोधित करते हुए राज्य सचिव सुनील मौर्या ने कहा कि भाजपा-आरएसएस द्वारा देश के संविधान, लोकतंत्र, आज़ादी व भाईचारे पर किए जा रहे हमलों के दौर में साथी रोहित की सोच और भी ज्यादा प्रासंगिक हैं. आज साथी रोहित हमारे बीच होते तो शिक्षा के बचाने की लड़ाई नौजवानों के रोजगार के अवसरों व भविष्य पर हो रहे हमलों के खिलाफ आन्दोलन में हमारे साथ होते.

उन्होंने आगे कहा की मोदी सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने को है. यह दस साल देश के लिए तबाही-बर्बादी का समय रहा. विरोध की आवाजों को कुचल देने की कवायद जारी है. न्याय की परिभाषा बदल दी गई है. विनाश इस शासन में विकास कहलाया जाने लगा और नफरत का कारोबार उफान पर है.
 
ऐसे समय में देश के नौजवानों की जिम्मेदारी है कि वो मुल्क को बचाने के लिए आगे आएं और न्याय की लड़ाई को आगे बढाएं. 2014 में देश के नागरिकों को खास कर युवाओं को बेहतर भविष्य का सपना दिखा कर सत्ता में आई मोदी सरकार अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा करने को है. रोजगार का सपना दिखा कर सत्ता में आई सरकार अब दस साल पूरा होने के बाद अक्षत और भभूत बाँट कर अपनी नाकामियों को ढकना चाह रही है. जिसे देश का युवा पीढ़ी कभी सफल होने नही देगा। देश को बचाने की लड़ाई जारी रहेगी.

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