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संभल हत्याकांड और अडानी के भ्रष्टाचार के खिलाफ आरवाईए का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

Updated: Dec 31, 2024



संभल हत्याकांड के न्यायिक जांच, दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई, और अडानी के भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग को लेकर इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के आह्वान पर देश के अलग-अलग हिस्सों में हुआ प्रदर्शन।

बिहार के बेगूसराय में आयोजित प्रतिरोध मार्च को संबोधित करते हुए आरवाईए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि आज हम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। देश की सामाजिक एकता, लोकतांत्रिक मूल्य, और संवैधानिक संस्थाओं पर आज अभूतपूर्व हमले हो रहे हैं। मोदी सरकार ने जनविरोधी और सांप्रदायिक राजनीति का ऐसा घिनौना मॉडल पेश किया है, जो न केवल हमारे समाज को बांट रहा है, बल्कि हमारे लोकतंत्र और संविधान की नींव को कमजोर कर रहा है। यह सरकार पूंजीपतियों की गुलामी और सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति का खतरनाक मेल बन चुकी है।


संभल की घटना इसका ताजा उदाहरण है। निहत्थे नागरिकों पर पुलिस की बर्बरता, पांच मासूम नौजवानों की गोली मारकर हत्या, और उसके बाद सरकार की खामोशी ने यह साफ कर दिया है कि यह सरकार न केवल क्रूर है, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारियों से भी पूरी तरह भाग रही है। जब पुलिस, जिसे जनता की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है, वही जनता पर गोलियां चलाती है और निर्दोषों की जान लेती है, तो यह मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन और हमारे संविधान पर सीधा हमला है।

सरकार की चुप्पी और दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई न करना यह साबित करता है कि यह सरकार कानून के राज को नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक एजेंडे को थोपने में विश्वास करती है।
लेकिन यह केवल सांप्रदायिक हिंसा की बात नहीं है। यह उस बड़े खेल का हिस्सा है, जहां देश की संपत्तियां और लोकतंत्र कुछ पूंजीपतियों के हाथों में बेची जा रही हैं। अडानी का मामला इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है। अमेरिका में अडानी पर भारतीय अधिकारियों को 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह कोई सामान्य आरोप नहीं है। यह घोटाला दिखाता है कि मोदी सरकार कैसे अपने पूंजीपति मित्रों के लिए देश की संस्थाओं और संसाधनों को गिरवी रख चुकी है।

देश के संसद में अडानी का नाम तक लेना प्रतिबंधित कर दिया गया है। विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दिया जाता, यह कैसा लोकतंत्र है, जहां संसद को भी पूंजीपतियों के हित में बंधक बना दिया गया है?

अडानी को मोदी सरकार का संरक्षण स्पष्ट है। चाहे बंदरगाहों का निजीकरण हो, कोयला खदानों का आवंटन हो, या सौर ऊर्जा के बड़े प्रोजेक्ट—हर जगह अडानी को ही फायदा पहुंचाया गया है। जबकि आम जनता महंगाई, बेरोजगारी, और गरीबी से जूझ रही है, यह सरकार अडानी जैसे पूंजीपतियों की जेबें भरने में व्यस्त है।


जब-जब सरकार पर घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, तब-तब वह सांप्रदायिक उन्माद फैलाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। संभल की घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। पुलिस की बर्बरता और सांप्रदायिक हिंसा केवल जनता को असली मुद्दों से दूर रखने का षड्यंत्र है।

यह सरकार समाज को बांटकर अपने पूंजीपति मित्रों के अपराध छुपाने का प्रयास करती है। संभल जैसे मामले केवल सांप्रदायिक तनाव नहीं, बल्कि जनता की असल समस्याओं—महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली—से ध्यान हटाने के लिए बनाए गए मुद्दे हैं।

हम साफ देख सकते हैं कि मोदी सरकार और अडानी का गठजोड़ देश के लिए कितना खतरनाक है। यह केवल आर्थिक शोषण नहीं, बल्कि हमारे संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक ताने-बाने पर सीधा हमला है। मोदी सरकार अडानी जैसे पूंजीपतियों के संरक्षण के लिए देश की जनता को धोखा दे रही है।

मुजफ्फरपुर में प्रदर्शन को संबोधित करते हुए आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफताब आलम ने कहा कि जब जनता के मुद्दों को संसद में उठाने पर रोक लगाई जाती है, जब सत्य को दबाने के लिए मीडिया को खरीद लिया जाता है, पीड़ितों से मिलने की कोशिश करने पर हाउस अरेस्ट कर लिया जाता है, जब कानून व्यवस्था का इस्तेमाल विरोधियों को कुचलने के लिए किया जाता है, तो यह साफ हो जाता है कि यह सरकार लोकतंत्र नहीं, बल्कि तानाशाही की ओर बढ़ रही है।


यह लड़ाई केवल अडानी के भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है। यह लड़ाई देश की लोकतांत्रिक परंपराओं, संविधान, और सामाजिक एकता की रक्षा के लिए है। यह लड़ाई पूंजीवादी लूट और सांप्रदायिक नफरत की राजनीति के खिलाफ है।

हमें एक नई आजादी की जरूरत है—एक ऐसी आजादी जो इस पूंजीवादी-सांप्रदायिक गठजोड़ से मुक्त हो। एक ऐसी आजादी जो समाज के हर तबके को समान अवसर और न्याय दे सके।

हम इंकलाबी नौजवान सभा की ओर से देश के हर नौजवान से आह्वान करते हैं—उठो, संगठित हो, और इस अन्याय व अत्याचार के खिलाफ खड़े हो जाओ। यह समय का तकाजा है। यह हमारी जिम्मेदारी है। और यह हमारी इंकलाब की पुकार है।

 
 
 

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