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इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए), बिहार के 8वें राज्य सम्मेलन में संगठन का विस्तार करने व रोजगार के सवाल पर आंदोलन तेज करने की बनाई गई योजना.


इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए), बिहार के 8वें राज्य सम्मेलन में संगठन का विस्तार करने व रोजगार के सवाल पर आंदोलन तेज करने की बनाई गई योजना.

इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए), बिहार के 8वें राज्य सम्मेलन में संगठन का विस्तार करने व रोजगार के सवाल पर आंदोलन तेज करने की बनाई गई योजना.
राज्य सम्मेलन कॉमरेड विनोद मिश्र सभागार और खुदीराम बोस नगर (मुजफ्फरपुर) में सम्पन्न हुआ. सम्मेलन में बिहार भर से करीब 300 चुने हुए प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सम्मेलन के विधिवत शुरुवात से पूर्व शहर में विशाल युवा अधिकार मार्च निकाला गया जो विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए कर शहीद खुदीराम बोस- प्रफ्फुल चाकी के स्मारक पर पहुँचा जहां आरवाईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह अंगियाव विधायक मनोज मंज़िल, राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार, सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जिरादई विधायक अमरजीत कुशवाहा एवं अन्य प्रतिनिधियों ने शहीद स्मारक पर माल्यार्पण कर शहीदों के अधूरे सपनो को पूरा करने का संकल्प लिया।
सम्मेलन का उद्धघाटन भाकपा (माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने किया। अपने उद्धघाटन भाषण में उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से दिल्ली की सरहदों पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसानों के सामने सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कृषि कानून वापस लेना पड़ा। वर्तमान में देश एक जुझारू नौजवान व किसान आंदोलन के दौर से गुजर रहा है। किसान आंदोलन की जीत सम्मानजनक रोजगार के लिए लड़ रहे नौजवानों के लिए उर्जा व प्रेरणा का स्रोत बन गया है। युवाओं को किसान आंदोलनों में शहीद हुए 750 से अधिक किसानों से प्रेरणा लेते हुए सम्मानजनक रोजगार के अधिकार के लिए आंदोलन को और भी जोरदार और प्रभावी बनाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 15 साल के नीतीश कुमार के शासन ने बिहार को बेरोजगारी में देश के बाकि सभी राज्यों में सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया। आज देश आजादी के समय से अब तक के सबसे ज्यादा बेरोजगारी का सामना कर रहा है तो बिहार देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी का सामना कर रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में नौजवानों से 19 लाख रोजगार देने का वादा किया था। एनडीए को सरकार में आए एक साल हो गया है लेकिन अभी तक नौजवानों को रोजगार देने की दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आज बिहार का नौजवान सरकार की नाकामी के चलते देश में सबसे ज्यादा बेकारी का सामना कर रहा है। इन नौजवानों के सामने रोजगार के लिए आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
आरवाईये के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह अंगियाव विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि आज बिहार में अलग-अलग बहालियों जैसे शिक्षक, बैंक, एलआईसी, रेलवे, सीजीएल, आईबीपीएस, कार्यपालक सहायक, दरोगा, सिपाही, होमगार्ड, बिहार एसएससी, टोला सेवक, वार्ड सचिव, तालीमी मरकज, विकास मित्र, गेस्ट शिक्षक, सहायक प्रोफेसर, पारा मेडिकल, सांखिकी स्वयं सेवक, फिजिकल शिक्षक आदि अभ्यर्थी ठोकरें खा रहे हैं लेकिन इनकी मांगों को सरकार सुनने को तैयार नहीं है। ऊपर से एक फरमान सुनाया गया है कि कोई भी अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे तो उनको नौकरी से वंचित किया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस तानाशाही रवैये के ख़िलाफ़ बिहार का नौजवान आर-पार की लड़ाई लड़ेगा ।
सम्मानित अध्यक्ष सह जीरादेई विधायक अमरजीत कुशवाहा ने कहा कि 16 साल से नीतीश कुमार युवाओं से वोट लेकर धोखा देने का काम कर रहें है. अब इसे बिहार का युवा कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला है. आरवाइए युवाओं के सपनों और आकांक्षाओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ पूरे बिहार में धारावाहिक आंदोलन शुरू करेगा.

मौके पर इस खुले सत्र को ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने जनता पर चौतरफा हमले कर रही है. आज महिलाओं, दलितों, आदिवासिओं, मुस्लिमों पर सरकार के संरक्षण में हमले हो रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि इस हमले के खिलाफ एकताबद्ध आन्दोलन छेड़ा जाय.
आइसा के राष्ट्रीय महासचिव व पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि सरकार को शैक्षनिक संस्थानों को ख़त्म करने का अभियान चला रही है. नयी शिक्षा नीति लाकर देश के गरीब लोगों को शिक्षा से बेदखल करना चाह रही है इसलिए जरूरी है छात्र-युवा आन्दोलन को तेज किया जाय.
इस खुले सत्र को आफताब आलम सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया। संगठन के राज्य अध्यक्ष सह डुमरांव विधायक अजित कुशवाहा ने अध्यक्षता की.
सम्मेलन के सांगठनिक सत्र का उदघाटन करते हुए संगठन के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ने देश की लाइफ लाइन भारतीय रेल को नीलाम करने का फैसला लिया है जो रेलवे ना सिर्फ 5 साल में तीस से चालीस हजार नौजवानों को रोजगार देता था बल्कि करोड़ों भारतवासियों के सपने को ढोता है। रेलवे के अलावे आज देश की बेशकीमती कंपनियों व संस्थाएं जो पिछले 75 साल की देश की महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है आज सब के सब नीलामी के बाजार में है। इन कंपनियों को नीलाम कर के नौजवानों से ना सिर्फ नौकरियों के अवसर छीने गए हैं बल्कि सामाजिक न्याय वयुवाओं के सपने को

भी पूंजीपतियों के हाथों नीलाम कर दिया है। रोजगार देने में नाकाम केंद्र और बिहार की नीतीश सरकार अपनी नाकामी को नफरत के चादर के नीचे ढकने की कोशिश कर रही है। देश भर में सांप्रदायिक जहर फैलाकर नौजवानों को नफरत की आग में झोंक देने की लगातार कोशिश की जा रही है। लेकिन हम सरकार के मंसूबों को कभी सफल नही होने देंगे। ऐसे में यह जरूरी है कि आरवाइए संगठन का विस्तार करे और आज देश के नौजवानों के सामने जो चुनौती है उसे स्वीकार करे. नौजवानों के सपनों व रोजगार पर हो रहे हमले का मुकाबला करें और नौजवान आन्दोलन का तूफ़ान खड़ा कर मुल्क को बेचने से बचा लें.
सांगठनिक सत्र में विदाई कमिटी के सचिव सुधीर कुमार के द्वारा सांगठनिक कामकाज और वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति की रिपोर्ट पेश की गई, जिस पर प्रतिनिधियों ने बहस ने हिस्सा लिया और सर्वसहमति से रिपोर्ट पारित की गई।
फिर सम्मेलन के पर्यवेक्षक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश सिंह के देख-रेख में सम्मेलन से 87 राज्य परिषद और 43 राज्य कार्यकारिणी का चुनाव हुआ. फिर चुनी गई राज्य परिषद ने 20 राज्य पदाधिकारियों को चुना।
जिसके राज्य सचिव - शिवप्रकाश रंजन, राज्य अध्यक्ष - आफताब आलम एवं मानद अध्यक्ष अजित कुशवाहा चुने गए. राज्य सह-सचिव के लिए रामाकांत टूना, मिथलेश कुमार, धर्मेंद्र यादव, संदीप चौधरी, वतन कुमार, विनय कुमार, पप्पू कुमार, वैंकटेश शर्मा, सबा परवीन, जयशंकर पंडित, गौरी शंकर एवं राज्य उपाध्यक्ष के लिए जितेंद्र पसावन, उपेन्द्र गौड़, रंजीत राम, शाह शाद, निरंजन कुमार केसरी, तारिक अनवर चुने गए. इसी के साथ नए कार्यभार और नई ऊर्जा और नई संकल्पों के साथ सम्मेलन का समापन किया गया।
 
 
 

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